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"मेरे अंतर का ज्वार, जब कुछ वेग से उफ़न पड़ता है,
शोर जो मेरे उर में है,कागज पर बिखरने लगता है |"
ये अंतर्नाद मेरे विचारों की अभिव्यक्ति है, जिसे मैं यहाँ आपके समक्ष रख रहा हूँ |
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मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

इस दिवाली पर



सजा दूँ चुम्बनों का दीया 
तेरे ललाट के आले पर 
दहकते अधरों पर एक गीत 
जला दूँ इस दिवाली पर