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"मेरे अंतर का ज्वार, जब कुछ वेग से उफ़न पड़ता है,
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ये अंतर्नाद मेरे विचारों की अभिव्यक्ति है, जिसे मैं यहाँ आपके समक्ष रख रहा हूँ |
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मंगलवार, 13 जून 2023

ये वृक्ष देवदार के...

ये वृक्ष देवदार के
मित्र ये पहाड़ के
हैं ठाड़ संग सदियों से
जूझ बाधा विघ्न आंधियों से
किंसुक सी हैं पत्तियाँ
मिलजुल करती बतियाँ 
हवा जो हल्के चल पड़ी
आपस में ये झगड़ पड़ीं 
फिर झूम झूम डालियाँ 
आपस में रगड़ पड़ीं 
कि छुलें आसमान को
फैला अपने वितान को
रोक लें मेघों के झुण्ड
बरसा दें जो जलधार ये। 
ये वृक्ष देवदार के.... 
~ शशि रंजन मिश्र (१० जून २०२३ , कनाताल उत्तराखण्ड)