हम भी भींगे थे पहली बारिश में,
मगर हालात कुछ और था |
हँसी थी चेहरे पर मगर,
दिल में जज्बात कुछ और था |
वो पहली ठंढी फुहार,
दिल की अगन बुझा न सकी |
मेरे सुलगते जख्मों को,
मरहम बन सहला न सकी |
हम भींगे थे बारिश में,
अपने आसुओंको छुपाने के लिए |
जज्बात के बवंडर में,
बस खुद ही डूब जाने के लिए |