एक कतरा समन्दर का मेरे नाम तो कर
जो मेरी पथरीली आंखों को नम कर दे |
देख बीमार है बस्ती और बीमार शहर
ला खुशी कहीं से इनमे जिन्दगी भर दे |
उड़ा ना ले जाए बवंडर कहीं परवाजों को
भर इन परों में जादू या हवा मद्धम कर दे |
मेरे अंधेरे घर में सिर्फ़ "चाँद" है मयस्सर
आदत है अंधेरे की रौशनी शबनम कर दे |