"मेरे अंतर का ज्वार, जब कुछ वेग से उफ़न पड़ता है, शोर जो मेरे उर में है,कागज पर बिखरने लगता है |" ये अंतर्नाद मेरे विचारों की अभिव्यक्ति है, जिसे मैं यहाँ आपके समक्ष रख रहा हूँ |
साहित्य के क्षेत्र में मेरा ये प्रारंभिक कदम है, अपने टिप्पणियों से मेरा मार्ग दर्शन करें |
बुधवार, 3 सितंबर 2008
मौत...
असर देखो मौत का किस कदर हो रहा है, पूनम के बाद चाँद हर रात घट रहा है |
Behtarin, shayar sahab...Isi tarah aage aur likhte rahiye...Hume Intezaar rahega....:)
जवाब देंहटाएं