हम भी भींगे थे पहली बारिश में,
मगर हालात कुछ और था |
हँसी थी चेहरे पर मगर,
दिल में जज्बात कुछ और था |
वो पहली ठंढी फुहार,
दिल की अगन बुझा न सकी |
मेरे सुलगते जख्मों को,
मरहम बन सहला न सकी |
हम भींगे थे बारिश में,
अपने आसुओंको छुपाने के लिए |
जज्बात के बवंडर में,
बस खुद ही डूब जाने के लिए |
Hello,
जवाब देंहटाएंYour poem is very nice; your thoughts are also very meaningful. Pictures are also very good. You had done a great job, your poem is touches everybody heart. So, Best of luck for next poem. God blesses you.
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Sunaina
look4ward
Good Man.............Keep it up
जवाब देंहटाएंGood man....Keep it up
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