होठों पर जो ठहरी हँसी, निर्झर बन जाने दे
कहकशां खामोश है, एक शैलाब आने दे |
कहकशां खामोश है, एक शैलाब आने दे |
उमस भरी पुरवाई भी चलती है थम-थम,
हिला दे सोये दरख्तों को बवंडर बन जाने दे |
हिला दे सोये दरख्तों को बवंडर बन जाने दे |
इस वीराने में भी बसता था कभी कोई गुलिस्तां
कुरेद दे हर गर्द को वो मंजर को फ़िर छाने दे |
कुरेद दे हर गर्द को वो मंजर को फ़िर छाने दे |
पुकारता है कहीं कोई पथिक, राह भूल गया ,
जला दे चाँद ज्यूँ, आफ़ताब से नहाने दे |
जला दे चाँद ज्यूँ, आफ़ताब से नहाने दे |