जीवन उलझ गया ये ढूंढने में,
क्या खोया और क्या है पाया
खाली हाथ और खुली मुट्ठियाँ,
आवागमन की गज़ब ये माया
उलझन कैसी और कैसा र्द्वंद
भ्रम कैसा और कैसा छलावा
मिथ्या जगत की थोथी बातें
सत्य आलोपित, असत्य निवाला
बुद्ध बन गया, महावीर बन गया
लगा ली श्मशान की धुनी सर पे
बैठे खोज रहे सत्य कंदराओं में
जो छिपा है स्वयं के अंतर में
क्या खोया और क्या है पाया
खाली हाथ और खुली मुट्ठियाँ,
आवागमन की गज़ब ये माया
उलझन कैसी और कैसा र्द्वंद
भ्रम कैसा और कैसा छलावा
मिथ्या जगत की थोथी बातें
सत्य आलोपित, असत्य निवाला
बुद्ध बन गया, महावीर बन गया
लगा ली श्मशान की धुनी सर पे
बैठे खोज रहे सत्य कंदराओं में
जो छिपा है स्वयं के अंतर में
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