आज पढ़ा समाचार में,
घटना संसद के सेन्ट्रल हाल में
मातम मन रहा था
आजादी के नायक का
जयंती थी आज जिसकी
राष्ट्र के अधिनायक का
हाय सुभाष तुम्हे नमन
क्षमाप्रार्थी हैं, हम हतभागे हैं
भूल गए हैं तुम्हे हम
नींद हमारी गहन, हम कब जागे हैं
धिक्कार तुम्हे है नेताओं
जो तुम उस नेता को भूल गए
मर चुकीं तुम्हारी आत्माएं
तुम आजादी के प्रणेता को भूल गए
धिक्कार तुम्हारी माताओं को
धिक्कार तुम्हारे कुल को है
माँ भारती का धिक्कार लगे
धिक्कार तुम्हारे समूल को है
दुर्भाग्य देश का जग गया है
सुप्त हो चूका जनजन का खून
गिद्ध भेड़िये शीर्ष पर बैठे
तेरे इस देश में लग चूका घुन
हाँ अगर अल्पसंख्यक या
पिछड़ी जाती का नाम जुड़ा होता
तो सजा होता ये सेंट्रल हाल
और तेरी तस्वीर पर माला पड़ा होता
व्यर्थ गया बलिदान तुम्हारा
काश तुम रक्त ना बहाए होते
तब सुकून तुम्हे रहता
आज अपनी जन्मदिवस यूँ अकेले ना मनाये होते |
-शशि 24-01-2014
(23जनवरी 1897 को जन्मे इस महान क्रांतिकारी और हमारे प्रिय नेताजी की जयंती पर, हमारे 775 सांसदों की नींद नहीं टूटी | धिक्कार है इन नेताओं पर जो देश के शीर्ष पर बैठ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान कर रहे हैं |
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