हंसो ऐसे की सर पे छत उठा लो,
हंसो ऐसे की हर दिवार गिरा दो |
कोई मुस्कराहट छने होठों पे
वहीँ उसे तुम कहकहा बना दो |
गम का और गमगीन का
हर दर्द का सैलाब मिटा दो |
नदी जो बहती हो आंसू की
हंसी के सागर से मेल करा दो |
जीवन छोटा, बगिया छोटी
इसे खुशी का कहकशां बना दो |
कोई मुस्कराहट छने होठों पे
वहीँ उसे तुम कहकहा बना दो |
गम का और गमगीन का
हर दर्द का सैलाब मिटा दो |
नदी जो बहती हो आंसू की
हंसी के सागर से मेल करा दो |
जीवन छोटा, बगिया छोटी
इसे खुशी का कहकशां बना दो |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें