एक गीत मैं लिखूंगा
आवाज़ तुम देना,
मैं रागों को सजाऊँ
साज़ तुम देना एक ....
जोडेंगे टुकड़े -टुकड़े
हम आज अपने मन के ,
गुन्थेंगे एक सुर में
हर भाव जीवन के
ना हो कभी ख़तम जो
वो शाम तुम देना एक ...
अगर हो जायेंगे मदमस्त
थाम लेना मेरी बाहें,
गर हम भटक गए तो
सुलझाना मेरी राहें ,
तुम अमृत-घट से उंडेल
जाम मुझको देना एक ...
हम मन के नाव खेवें
भावों के इस लहर में ,
हर फिक्र को डुबो दे
यादों के भंवर में
हमें ले जाये जो किनारे
वो मझधार तुम देना एक ...
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