
जुमलों को मिलाना गर कविताई है, तो मैं भी कवि हूँ ,
जमीं से जुड़ा हूँ मैं,और अपने पुरखों की छवि हूँ |
बंधू मेरी कविताई की बीमारी ये खानदानी है ,
वंशागत त्रुटी है ये , मर्ज़ बहुत पुरानी है|
वादा है यहाँ भी कुछ छाप मैं जरूर छोडूंगा,
आपके मन पे अपने दाग लगाकर छोडूंगा|
अब आप प्यार दो या दो दुत्कार मुझे
बस अपने दिल के भाव खरी खरी रखूँगा| -शशि
aap likhte waikai barhiya hain
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